योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाज को नई दिशा देने के लिए गरीब हिन्दू एवं मुस्लिम बेटियों के राज्यभर में सामूहिक शादियों के आयोजन करके समाज-सुधार का एक अनूठा उपक्रम किया है, सामाजिक क्रांति का शंखनाद किया है।
राष्ट्रीय जीवन में घुन की तरह लगे सामाजिक रीति-रिवाजों, प्रदर्शन, फैशन, दहेज, बड़े भोज, प्री-बेड शूटिंग, भव्य एवं खर्चीली शादियों और साम्प्रदायिकता के कोढ़ को समाप्त करने की दिशा में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना एक रचनात्मक भूमिका का निर्माण करती है, जिसका व्यापक स्तर पर स्वागत किया जाना चाहिए। अन्य प्रांतों को भी इस प्रेरक एवं अनूठी योजना को अपनाना चाहिए। समाज में जो व्यवस्था है और जो पनप रही है, वह सामाजिक समता, सौहार्द, न्याय के घेरे से बाहर है। कब तक चलेगा यह भद्दा एवं भयावह सामाजिक रीति-रिवाजों का नाटक? और कब तक झेलता रहेगा समाज ये विसंगतियां? सबकुछ गलत होते देखकर यह सोचना कि हमें क्या? जो होता है सो होता है' यह सोच बदलनी होगी, क्योंकि हमारी एक छोटी-सी भूल आने वाली पीढ़ियों को अभिशप्त कर सकती है, करती भी रही है। सब चाहते हैं, उपदेश देते हैं कि समाज में आडम्बर, प्रदर्शन, दिखावा, सामाजिक अन्याय, शोषण न हो। अगर सामाजिक अन्याय को बढ़ावा नहीं मिले और उसका प्रतिकार होता रहे तो निश्चित ही एक सुधार की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी, एक स्वस्थ एवं आदर्श समाज व्यवस्था निर्मित होगी।